आजकल नौकरी का समय केवल सुबह 10 से शाम पांच वाला नहीं रहा है। अब बहुत से ऑड टाइमिंग हैं जिनमें लोगों को काम करना पड़ता है। कभी बहुत सुबह तो कभी रात भर काम करना पड़ता है। इन सभी टाइमिंग की वजह से नींद में अप्स-डाउन आते हैं। जिसे शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर (Shift Work Sleep Disorder)कहते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि 10 से 40 फीसद लोग, जो कि दिन और रात की शिफ्ट में काम करते हैं, वो शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर का अनुभव करते हैं? दरअसल, शिफ्ट में काम करने वाले ज्यादातर लोग इस डिसऑर्डर के कारण हर रात सही से सो नहीं पाते। मैक्स अस्पताल में Neurologist Dr. Mukesh Kumar की मानें, तो शिफ्ट वर्क डिसऑर्डर जैसा कि नाम से ही जान पड़ता है कि नींद का ऐसा विकार जो शिफ्ट बदलने के कारण (What Causes Shift Work Sleep Disorder) होता है।
डॉक्टर मुकेश कुमार की मानें तो अगर लंबे समय तक नींद पूरी नहीं हो रही है और यही सिचुएशन महीनों तक चल रही है तो ये स्लीप डिप्राइवेशन सिन्ड्रोम (sleep deprivation syndrome) क्रिएट करेगा और फिर डिप्रेशन (depression) होगा। तो, आइए डॉक्टर मुकेश से विस्तार में समझते हैं कि क्या है ये डिसऑर्डर और कैसे करें इससे अपना बचाव।
शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर के लक्षण- Symptoms of Shift Work Disorder
1. नींद पूरी नहीं होना या बहुत अधिक नींद आना
Dr. Mukesh Kumar के मुताबिक, रात सोने के लिए बनी है और दिन काम करने के लिए, लेकिन अगर इस सिचुएशन में बदलाव होता है तो नींद पर असर पड़ता है। कुछ महीनों तक रात की नौकरी या रोटेशनल शिफ्ट (Rotational shift) करने में मजा आता है, लेकिन जब नींद पूरी नहीं होती तब उसका असर हेल्थ पर नजर आने लगता है। छह से आठ घंटे की नींद पूरी नहीं होने (lack of sleep) पर आपके अपने शरीर पर तो असर पड़ता ही है साथ ही आपके परिवार वाले भी आपको लेकर परेशान होने लगते हैं। शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर में सबसे पहले नींद पर असर पड़ता है। इस डिसऑर्डर में काम के दौरान बहुत नींद भी आती है।
2. शरीर में थकान
जब कोई व्यक्ति आइडियल छह से आठ घंटे की नींद पूरी नहीं कर पाता तब शरीर में थकान होने लगती है। इस स्थिति में आप कितना ही सो लें लेकिन मन शांत नहीं रहता और शरीर व मन दोनों थका हुआ महसूस करते हैं।
3. आलस
नींद पूरी नहीं होने से शरीर मे थकान होती है और इस थकान के कारण आप पूरा दिन आलस महसूस करेंगे। शरीर में फुर्तिलापन नहीं रहेगा।
4. झुंझलाहट
नींद की कमी और शरीर में थकान की वजह से आप झुंझलापन (Irritation) महसूस करेंगे। किसी से बात करने का मन नहीं करेगा। बात-बात पर गुस्सा आएगा। कई बार आपको खुद पर भी झुंझालाहट आएगी।
5. सिर दर्द
शिफ्ट वर्क डिसऑर्डर में सिर में दर्द की शिकायत होने लगती है। शुरुआत में यह आम दर्द लगता है लेकिन कई महीनों तक नींद पूरी नहीं होने से यह गंभीर परेशानी बन सकती है। सिर में दर्द के साथ-साथ बदन में भी दर्द होगा।
6. डिप्रेशन
इन सभी लक्षणों का हासिल-ए-महफिल डिप्रेशन (Depression) होगा। शरीर हमेशा थका हुआ और आंखें उनींदी रहेंगी। मन शांत नहीं रहेगा। आप सोने की कोशिश करेंगे लेकिन नींद नहीं आएगी। कई बार यह स्थिति इन्सोमेनिया में बदल जाती है।
7. काम की क्वालिटी खराब होना
जो लोग शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर से परेशान है उनमें एकाग्रता की कमी आ जाती है। किसी एक काम पर अटेंशन नहीं रख पाते। इस कारण उनके काम पर असर पड़ता है और काम की क्वालिटी खराब होती है।
शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर से कैसे बचें -How to Prevent Shift Work Sleep Disorder?
1. छह से आठ घंटे सोएं
Dr. Mukesh Kumar के मुताबिक शिफ्ट वर्क डिसऑर्डर से बचने का सबसे आसान तरीका है पूरी नींद लें। मतलब रोजाना एक से दो घंटे की नींद से काम नहीं चलेगा। आपको छह से आठ घंटे सोना होगा। तब यह परेशानी कम होगी। अगर आपको आपकी शिफ्ट की वजह से सोने का समय नहीं मिल पा रहा है तो अपनी नींद का एक शिड्युल बनाएं। ताकि आपका काम और नींद ठीक से पूरी हो पाएं।
2. नींद की दवा लें
एक्सट्रीम केसेस में जब बहुत कोशिश करने के बाद भी नींद पूरी नहीं हो रही है तब डॉक्टर की सलाह से कुछ दिन नींद की गोलियां ले लें। इससे कुछ दिन में आपकी नींद पूरी हो जाएगी। शरीर रिफ्रेश फील करेगा। फिर आप अपने शिड्युल पर काम कर सकते हैं।
3. नेगेटिव विचारों को दूर रखें
आप जितना नेगेटिव सोचेंगे उतने नेगेटिव थॉट्स आपको परेशान करेंगे। इससे बेहतर सोते समय खुद को कहें कि आज जो हो गया सो हो गया अब कल की बात कल देखेंगे। नेगेटिव विचारों को बिस्तर पर न लाएं।
4. सोते समय मोबाइल न देखें
सोते समय ब्लू लाइट से दूरी बनाएं। यह बात कई शोधों में भी स्पष्ट हो चुकी है कि रात को सोते समय मोबाइल, टीवी, नेटफ्लिक्स या कोई अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मत देखिए। इससे बेहतर है कुछ बोरिंग कंटेंट पढ़िए ताकी आपको नींद जल्दी आए।
5. स्लीप हाइजीन का ध्यान रखें
स्लीप हाइजीन का मतलब है जिस बिस्तर पर आप सो रहे हैं वह पूरी तरह से साफ होना चाहिए। सोते समय कमरे में अंधेरा रखें। फ्लैट लेटें। रात को सोते समय ब्रश करें और पेशाब करके सोएं।
6. एक्सरसाइज करें
आजकल ज्यादातर नौकरियां डेस्क पर हैं। घंटों बैठकर काम करना पड़ता है। जिस वजह से दिमाग तो थक जाता है पर बॉडी नहीं थकती। बॉडी को थकाने के लिए जरूरी है कि एक्सरसाइज की जाए या फिर कोई ऐसा काम जिससे बॉडी थके। बॉडी में थकान होने से नींद अच्छी आएगी।
7. कमरे का तापमान सही रखें
नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक आइडियल नींद का तामपान 18.3 डिग्री सेल्सियस है। इस तापमान में बॉडी खुद ही मिल जाती है और नींद अच्छी आती है।
8. सोते समय आसपास शांति रखें
अगर आप परिवार के साथ रहते हैं और आपके सोते समय घर में शोर होता है तो घर वालों से बात करें और अपनी नींद की समस्या के बारे में बताएं। अपने कमरे का दरवाजा बंद रखें ताकि किसी की आवाज से आप परेशान न हों।
दिन में कैसे सोएं (Daytime sleep)
रात में नौकरी या बहुत सुबह की नौकरी या आधे दिन में शुरू होने वाली शिफ्ट्स में नींद पूरी नहीं होती है। ऐसे में दिन में नींद कैसे लें, इसके बारे में यहां हम आपको बता रहे हैं।
1. खाने पर ध्यान दें- स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक आप कब, क्या खा रहे हैं इसका आपकी नींद से बहुत से जुड़ाव है। फर्ज करिए अगर आपकी शिफ्ट दोपहर की है तो शिफ्ट शुरू होने से पहले आप दोपहर का खाना खा लें। इसी तरह नाइट शिफ्ट करने वाले लोग रात को हल्का खाना खाएं और सुबह का नाश्ता हेवी रखें।
2. काम के दौरान हल्की नैप ले लें- अगर काम के दौरान आपको नींद आ रही है तो 10 से 20 मिनट तक सो लीजिए। ये कुछ मिनट आपको तरोताजा कर देंगे।
3. सोने से पहले शराब न पिएं- अगर आप सोने की तैयारी कर रहे हैं तो शराब न पिएं, इससे आपको कुछ दिन तो ठीक नींद आ सकती है, लेकिन यह जरूरी नही है कि हमेशा यह सेहत के लिए अच्छी होगी। इसलिए बेहतर है कि बिना शराब के ही सोने की कोशिश करें।
4. गुनगुने पाने से नहाएं- गुनगुना पानी बॉडी को रिलैक्स करता है। इससे नहाने से नींद अच्छी आती है। तो अगर आप काम करके घऱ जा रहे हैं तो घर जाकर गुनगुने से जरूर नहाएं।
नींद से जुड़ा कोई भी डिसऑर्डर हो सभी में जरूरी है कि आप स्लीप हाइजीन, खानपान और नींद का पूरा खयाल रखें। ऐसा करने से आपके काम करने की क्षमता पर असर नहीं पड़ेगा। साथ ही कोशिश करें कि एक हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें।
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